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Monday, December 24, 2018

याददाश्त क्या है mind power in hindi education in hindi

याददाश्त क्या है mind power in hindi education in hindi

Photo by David Cassolato from Pexels


आप इसके पहले के ARTICLE में याददाश्त के बहुत से रूपों के बारे में जान गए हैं की याददाश्त की क्या प्रक्रिया हैं। याददाश्त क्या हैं वो कैसे काम करता हैं। सूचनाओ कौन से पटल पे कितने देर रहती हैं सूचनाओ को स्मरण प्रक्रिया के द्वरा कैसे याद किया जाता हैं।

हम पहले जान गए हैं की याददाश्त की दो प्रचलित प्रकार हैं। उसमें से हम संवेदी पटल और अल्पावधिक स्मृति (छोटी याददाश्त) के बारे में जान चुके हैं।

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आज हम जानेगे की लम्बी याददाश्त क्या हैं ? क्यों कोई बात हमें बहुत दिनों तक याद रहती हैं ? लम्बी याददाश्त कैसे काम करती हैं इश्के क्या कारन। लम्बी अवधी के याददाश्त के आलावा भी हम याददाश्त के बहुत से प्रारूपों  के बारे में जाने गे।

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पुनरावृत्ति (दोहराना)

पुनरावृत्ति हमें हमारे याद को एकाग्रता के केंद्र में रहती है चाहे उसे जोर से दोहराया जाये या धीरे से उसी तरह की प्रक्रिया के बार-बार होने से क्या याद रखना हैं उसे लम्बी अवधि की स्मृति के रूप में बदले में सफल नहीं हो पाते हैं। 
विस्तृत पुनरावृत्ति स्मृति की सफलता अत्यधिक सम्भावी हैं। वृस्तृत पुनरावृत्ति के अंतग्रत तथ्य, अर्थ तथा संगठन आदि उसमे सन्हित रहती हैं क्योकि इनकी पुनरवृत्ति होती रहती हैं। 

दीर्घकालिक स्मृति (लम्बी याददाश्त)

वह याददाश्त जो कई दिनों कई महीनों कई वर्षों या जिन्दगी भर बनी रहती हैं इसके भण्ड़ारण छमता का कोइ ज्ञात नहीं हैं। एक बार दीर्घकालिक स्मृति में सुचना चली गई तो उसके लिए यह अच्छा हैं। 

हमें ऐसा लगता हैं की हम भूल रहे हैं क्यों की जो स्मृति संचय हैं अथवा अतिरिक्त सूचनायें पुनः प्राप्त होती हैं और उस अतिरिक्त सूचनाओं के दबाव के कारन उसे याद रखने में कठिनाई महसुस होती हैं  कई और चीजो के जानकारी हो जाने से हम उन्हें भूल जाते है क्यो की ये हमें भ्रम और बाधा उत्पन करती है और उन्हें दीर्घकालिक स्मृति में छोड़ देती है। दीर्घकालिक स्मृति में विचरो, शब्दो,वाक्यों अवधारणाओं और जीवन के अनुभवों का भण्डारण  होता है। 

स्मृति की दूसरी श्रेणी भी चार प्रकार की होती है। 
(1 ) स्वभाव स्मृति       (2 ) सत्य स्मृति 
(3 )तात्कालिक स्मृति (4 )दिर्घावधि स्मृति। 

स्वभाव स्मृति -  स्वभाव स्मृति वो स्मृति है। जिसमे बिना सोचे हम समझे किसी बिषय पर टिपणी करते है।इस स्मृति मे हम सोचने या तर्क के आधार पर याद की प्रक्रिया का प्रयोग नहीं करते है। इस प्रकार की स्मृति मानसिक स्मृति की अपेक्षा शारीरिक स्मृति मानी जाती है। जिसके के लिए बुद्धि और वास्तिकता का कोई स्थान नहीं होती है।

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सत्य स्मृति -  स्वभाव स्मृति की ठीक विपरीत होती है। इस स्मृति के अंतर्गत हम विषय के  बात को अच्छी तरह समझ कर ही अपनी स्मृति में लाते है। सत्य स्मृति में याद रखने की प्रक्रिया के अंतर्ग़त सोच एवं तर्क पर आधारित होती है। यह सही मायने में बुद्धि और वास्तविकता के लिए मानसिक स्मृति है। कुछ मनोवैज्ञानिक स्मृति के शारीरिक एवं मानसिक आधार पर वर्गीकरण से सहमत नहीं है।  और उनके सम्बंधो के पक्छ में वकालत करते है। 

तात्कालिक स्मृति - जब हम किसी विषय के बारे में तत्काल देख और सुनकर दोहराते हैं तो उसे तात्कालिक स्मृति  करते हैं। तात्कालिक स्मृति दीर्घकालिक स्मृति से भिन्न होती हैं। तात्कालिक स्मृति अस्थाई होती हैं। अध्ययन यह बताते हैं की तात्कालिक स्मृति अवस्था के साथ-साथ विकसित होती हैं। ये किशोरावस्था में तेज़ी से बिकसित होती हैं। 
तात्कालिक स्मृति को शब्दों और संख्यावों के परिणाम के आधार पर जाना जा सकता है। तात्कालिक स्मृति याददाश्त विस्तार का संकेत करती है। और यह स्मृति देखने और सुनने से सम्बंधित हो सकती है। 

दीर्घावधि स्मृति -यह तात्कालिक स्मृति के  विपरीत होती है। हम दीर्घावधि स्मृति का उपयोग हम सीखी हुई बातो को एक निष्चित अंतराल के बाद पुनः उदेश्यों की पूर्ति के लिए करते है। 
जैसे ;हम परीक्षा में लिखने के लिए पहले पढ़े हुये पाठ को याद करते है। और उसे हम अपने उत्तर पुस्तिका  में लिखते है। यह दीर्घावधि स्मृति का रूप है। 

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